Phone pr flurt

फ़ोन पर फ्लर्ट

फ़ोन पर फ्लर्ट में ऐसे प्रेम संबंध की गंध है जहाँ दयानंद जी की लेखनी ने उन शादी-शुदा औरतों व पुरुषों के प्रेम को उघाड़ा है जो चोरी-छुपे घरवालों की आँखों में धूल झोंक कर किसी से प्रेम-संबंध बना कर आनंद लेते हैं l इस तीसरी कहानी में प्रार्थना नाम की औरत अपने बच्चे की पढ़ाई और अच्छी जिंदगी जीने के सपने बुनती है और शायद किसी अधेड़ उम्र के प्रेमी को अपने शरीर और अदाओं से लुभा कर अपने जाल में फंसाए हुए है l लेकिन वो खुद भी मेहनत कर के पैसे कमाने का जुगाड़ सोचती है l उस के प्रेम संबंध की सब बातें एक दिन किसी से रांग नंबर डायल हो जाने पर वार्तालाप के जरिए पता लगती हैंl प्रार्थना उस व्यक्ति की आवाज़ को अपने प्रेमी की आवाज़ समझ कर इतराते हुए बेबाक उस से काफी देर तक बातें करती रहती है l ये पुरुष भी धोखा दे कर मजा लेने में कम नहीं होतेl

पीयूष मौके का फायदा उठा कर प्रार्थना को अपनी असलियत न बता कर फोन पर ही बातों में फंसा कर उस के बारे में तमाम कुछ जान लेता है l लेकिन वास्तव में ऐसे पुरुष मिलने से डरते हैं कि उन की पोल खुल जाएगी l प्रार्थना को पीयूष की सचाई का पता लगने पर उससे बेरुखाई व नाराजी हो जाती है कि उस दिन फोन पर फ्लर्ट करने वाला उसका प्रेमी नहीं बल्कि पीयूष था l जाहिर है कि दयानंद जी ने ऐसे प्रेम-संबंधों के बारे में बताने की कोशिश की है जिन में औरत केवल एक प्रेमी को ही चाहती है या कहिए कि वफादार होती है l हर किसी को वो मन से नहीं चाह पाती l उस ने फोन पर फ्लर्ट धोखे में किसी को अपना प्रेमी समझते हुए किया था l

Raaz choudhary 

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