Pyar ek dokha hai

सुंदर भ्रम

दो प्रेमियों की कहानियों में अक्सर ही प्रेमी या प्रेमिका के पिता की मृत्यु होने पर या तो वह अपने जीवन की तरफ से उदासीन हो जाते हैं या किसी लक्ष्य को ले कर उस में अपने को गुम कर देते हैं l जैसे कि इस में अनु के साथ हुआ l घर में केवल बेटियाँ हैं तो अनु परिवार का पेट भरने के लिए आगे की पढ़ाई छोड़ कर नौकरी करने लगती है l ऐसा करते हुए वह जीवन की तरफ से उदासीन हो जाती है l उस का प्रेमी देव अपनी प्रेमिका का यहाँ-वहाँ पीछा करते हुए आहें भरा करता है l उस की मन ही मन में पूजा करते हुए उस के आने-जाने की जगहों पर चक्कर काट कर अपनी टांगें घिसा करता है l कभी-कभी प्यार के जुनून में चिट्ठियाँ लिख कर उन की ढेरी लगाता रहता है l ऐसे प्रेमी मजमून दिल में लिए या कागज के टुकड़ों पर लिख कर ही रह जाते हैं l कागज का वो टुकड़ा प्रेमिकाओं के हाथ में सही समय पर नहीं पहुँच पाता l प्रेमी उन्हें पोस्ट करने से हिचकिचाते हैंl कभी इत्तफाक से मौका आया बात करने का तो या तो हकलाने लगते हैं या नर्वस होते हुए मन में जो कुछ रिहर्स किया होता है वो सब कहना या पूछना ही भूल जाते हैं l और भी हादसे होते रहते हैंl

अगर प्रेमिका को संदेह हो जाता है कि कोई उस का पीछा करता है तो डर से या घबरा कर उस लड़के से कन्नी काटने लगती हैl और प्रेमिकायें कभी अचानक सीन से गायब हो जाती हैं तो प्रेमी चिंता के मारे घुलता रहता है l हर समय घुट-घुट कर जीता है लेकिन बेशर्मी से हर बात की खोज खबर रखता है किंतु डरता भी रहता है कि कहीं मन की बात कह देने से जूते न पड़ें या उसे जेल की हवा न खानी पड़े l और अगर कभी ऐसा हुआ कि प्रेमिका के दीदार ना हो पाए और उस का पता-ठिकाना ना मिल पाए तो प्रेमी घबरा जाता है कि कहीं उस की प्रेमिका की शादी ना हो गई हो l प्रेम-ग्रस्त इंसान क्या-क्या फितूर की बातें नहीं सोचता l यही सब इस कहानी के नायक देव के साथ होता रहा l एक ऐसा प्रेमी जो मन में ही बातें सोच कर छटपटाता रहता है लेकिन अपनी प्रेमिका से कुछ कह नहीं पाताl

उसे अपनी प्रेमिका के आगे कोई भी अन्य लड़की सुंदर नहीं लगती l और उस दीवानेपन में कुछ बदकिस्मत प्रेमी मानसिक संतुलन खो बैठते हैं जैसा कि इस कहानी में भी हुआ l सालों से प्रेम-अग्नि में जलता हुआ वह अपनी हर किस्म की भावनाओं को चिट्ठियों में प्रकट करता रहा l कुछ लोग किसी से प्रेम करते हुये जीवन भर ऐसे ही घुटते रहते हैं l अतीत की यादों के नशे में ही धुत रहते हैं l ये नहीं कि ‘जो बीत गया सो बीत गया, अब आगे की सुधि ले l’ देव कल्पना में ही अनु से इश्क लड़ाते हुए अपनी प्रेम-पीड़ित भावनाओं को चिट्ठियों में लिख कर ढेर लगाता रहा किंतु उन्हें पोस्ट करने की हिम्मत ना कर पाया l जिंदगी के कई साल बीत जाने पर ही वो उन चिट्ठियों को अनु को पोस्ट करने की हिम्मत कर पाता है l दयानंद जी ने अपने निपुण लेखन से प्रेम की अधीरता व पीर दोनों को ही इस कहानी में दर्शाया है l

Raaz choudhary 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मेरे बड़े भाई ने धोखे से सेक्स किया

भांजी से सेक्स

Bhabhi ki pyass. Story